NCERT BOOKS (POLITICAL SCIENCE)
ENGLISH & HINDI MEDIUM
Class-11 Political Science Part-1
Class-11 Political Science Part-2
Class-12 Political Science Part-1
Class-12 Political Science Part-2
The RajneetikStudy (blog) has been created for the purpose of education to provide facts and information of political science in simple Hindi language. Through this blog I share my class notes to you with some modifications. Readers can translate blog posts in their native language.
Class-11 Political Science Part-1
Class-11 Political Science Part-2
Class-12 Political Science Part-1
Class-12 Political Science Part-2
(1892–1993)
लूथर हाल्सी गुलिक एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ थे उनका जन्म 1892 में जापान के शहर ओशाका में हुआ था। उन्होंने 1920 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में काम किया तथा सन् 1954-56 तक न्यूयॉर्क के नगर प्रशासक के रूप में सेवा की इसके साथ ही वह न्यूयॉर्क स्थित लोक प्रशासन संस्थान में 1920 से लेकर 1962 तक अध्यक्ष पद पर रहे।
गुलिक न केवल एक प्रोफेसर के रूप में अनेक विश्वविद्यालयों में कार्यरत रहे बल्कि एक प्रशासनिक परामर्शदाता (सलाहकार) के रूप में भी उन्होंने दुनिया के बहुत से देशों को अपनी सेवाएं दी। वह राष्ट्रपति के प्रशासन प्रबंधन समिति के सदस्य भी रहे। उन्होंने कई पुस्तकें और शोध निबंध लिखें।
इनमें से कुछ प्रमुख निम्न है :-
लिंडाल फाउनेस उर्विक का जन्म सन् 1891 में ब्रिटेन में हुआ था। उनकी शिक्षा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में हुई थी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लिंडाल उर्विक ब्रितानी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्यरत थे। इस दौरान वह अनेक अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन संगठनों से जुड़े हुए थे इन्हीं दिनों उन्होंने एक प्रतिष्ठित औद्योगिक प्रबंधन परामर्शदाता (सलाहकार) के रूप में ख्याति मिली। उनकी अनेक पुस्तकें व लेख प्रकाशित हुई जिनमें उल्लेखनीय है:-
गुलिक तथा उर्विक दोनों को न केवल सिविल सेवा बल्कि सैन्य संगठनों और औद्योगिक उपक्रमों के कार्यपद्धती का भी खूब अनुभव था। यही कारण है कि इन दोनों के लेखन में दक्षता और अनुशासन का निरंतर जिक्र आता है। उन्होंने सैन्य संगठन से लाइन और स्टाफ जैसी कुछ अवधारणाएं उधार भी ली।
गुलिक तथा उर्विक टेलर द्वारा विकसित मानव के मशीन मॉडल से बहुत अधिक प्रभावित थे। हेनरी फयोल द्वारा किए गए औद्योगिक प्रबंधन के अध्ययन से भी इन दोनों के विचार का काफी हद तक प्रभावित थे।
इन दोनों लेखकों के लेखकों में एक ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि इन्होंने प्रशासन की संरचना पर ध्यान दिया जबकि संगठन में लोगों की भूमिका की प्राय उपेक्षा की।
संगठन की संरचना में अभिकल्पन (Design) प्रक्रिया के महत्व को समझाते हुए गुलिक तथा उर्विक ने ऐसे सिद्धांतों की खोज में अपना ध्यान लगाया जिनके द्वारा संरचना का खाका खींचा जा सके। अपनी इस खोज में गुलिक हेनरी फेयोल के उन 14 मूल तत्वों से बेहद प्रभावित थे, जिन्हें उन्होंने प्रशासन के मुख्य गुणों की संज्ञा दी है।
इसके बाद उन्होंने (उर्विक) फेयोल के 14 प्रशासनिक सिद्धांतों मूनी एवं रिले के सिद्धांत प्रक्रिया और प्रभाव टेलर के प्रबंधन सिद्धांत तथा फोलेट के विचारों को एकीकृत करके 29 सिद्धांत तथा उनके उप सिद्धांत विकसित किए जो इस प्रकार हैं:-
1 अन्वेषण, 2 पूर्वानुमान, 3 योजना, 4 संगति, 5 संगठन, 6 समन्वय, 7 व्यवस्था, 8 आदेश, 9 नियंत्रण, 10 समन्वय कारी सिद्धांत, 11 सत्ता, 12 परिमापन प्रक्रिया, 13 कार्य का सौंपा जाना, 14 नेतृत्व, 15 प्रत्यायोजन, 16 प्रक्रियात्मक परिभाषा, 17 निश्चायक, 18 कार्यान्वयन की क्षमता, 19 निर्वाचन क्षमता, 20 सामान्य हित, 21 केंद्रीय करण, 22 कर्मचारी नियुक्ति करना, 23 आत्मा, 24 चयन और नियुक्ति, 25 पुरस्कार एवं प्रतिबंध, 26 पहल, 27 समानता, 28 अनुशासन, 29 स्थिरता।
नेतृत्व की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उर्विक ने कहा है कि नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहार का ऐसा गुण है जिसके द्वारा अन्य व्यक्ति नेता का निर्देशन स्वीकार करते हैं। उर्विक ने नेतृत्व के चार कार्यो की चर्चा की है:-
नेतृत्व के चार कार्यों की चर्चा के बाद उर्विक नेतृत्व के छह योग्यताएं बताई हैं:-
गुलिक ने कार्यपालिकीय कार्यों को भी अभीज्ञात किया है और एक नए शब्द पोस्डकोर्ब (POSDCORB) दिया। इस शब्द का प्रत्येक अक्षर प्रबंध के किसी महत्वपूर्ण कार्य को सूचित करता है।
![]() |
Luther gulick - POSDCORB |
इस प्रकार प्रशासन के विद्यार्थियों को लूथर गुलिक का आभारी होना चाहिए जिन्होंने 'पोस्डकोर्ब' जैसा संकेताक्षर शब्द रचा जो महत्वपूर्ण कार्यकारी कार्यों को निरूपित करता है।
परंतु इसके बावजूद इस बात की उपेक्षा नहीं की जा सकती की 'पोस्डकोर्ब' जैसा शब्द सूत्र नीति निर्माण, मूल्यांकन और जनसंपर्क जैसी प्रक्रियाओं के बारे में कोई सूचना नहीं देता। संगठन के यह तमाम महत्वपूर्ण पहलू यहां पूरी तरह अनुपस्थित हैं।
लूथर गुलिक ने ऐसे चार आधारों की तलाश की है जिनकी बदौलत कार्य बांटने यानी उपयुक्त व्यक्ति तथा उपयुक्त समूह को काम सौंपने की समस्या का हल निकाला जा सकता है। यह चार आधार इस प्रकार हैं:-
गूलिक इन्हें "P4" का नाम भी देते है।
आलोचना:-
इसकी आलोचना भले ही की गई हो परंतु आज भी इन चारों आधारों पर विभिन्न संगठनों में विभागों का बंटवारा होता है। जैसे सरकार में - रक्षा विभाग, वित्त विभाग व कानून विभाग आदि।
गुलिक ने अपने हाल के लेखों में महसूस किया है कि 50 साल पहले उन्होंने लोक प्रशासन के संबंध में जो 'पेपर्स ऑन साइंस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन' संपादित किए थे तब के मुकाबले आज के क्षेत्र में बहुत तब्दीलियां आ गई हैं यह तब्दीलियां प्रशासन की प्रकृति में हुए प्रभावशाली बदलावों के चलते आई हैं।
गुलिक ज़ोर देकर कहते हैं कि राज्य का मुख्य कार्य लोगों का कल्याण करना होना चाहिए उनके जीवन को कायम रखना और बेहतर बनाना होना चाहिए ताकि सतत बदलते हुए वातावरण की चुनौतियों का सामना किया जा सके ने की युद्ध का। मगर वह अफसोस के साथ कहते हैं कि आधुनिक राज्य की संरचना मुख्यतः युद्ध को ध्यान में रखकर की गई है। मानव मूल्य और कल्याण कहीं संदर्भ में नहीं है।
गुलिक समय के विषय में कहते हैं कि समय हर घटना के लिए महत्वपूर्ण कारक होता है इसके बिना न तो परिवर्तन हो सकता है और ना ही विकास प्रबंधन के उत्तरदायित्व को तय किए जाने और कार्यक्रम स्थितियों के लिए भी समय प्रभावी कारक होता है। मगर लोक प्रशासन में समय जैसे कारक की उपेक्षा की गई है।
उपसंहार
गुलिक तथा उर्विक ने संगठन सिद्धांतों के विषय में महत्वपूर्ण योगदान दिया है परंतु इनके सिद्धांत आलोचनाओं से परे नहीं है उनके संगठन सिद्धांतों की कड़ी आलोचना की गई है सिद्धांतों के बारे में काफी कुछ लिखने के बाद भी वह पूर्ण रूप से स्पष्ट कर पाने में असफल थे कि इनमें उनका आशय क्या है।
एलडी व्हाइट कहते हैं लाइन, स्टाफ, सहायक एजेंसियां, पदसोपान, सत्ता और केंद्रीयकरण यह तमाम शब्द प्रशासनिक स्थितियों का वर्गीकरण करने और उनका वर्णन करने में तो उपयोगी हो सकते हैं लेकिन जहां तक सवाल प्रशासन का है वैज्ञानिक सूत्रीकरण करने का है तो ये ऐसा यह नहीं करते।
हर्बर्ट साइमन कहते हैं कि प्रशासन के इन सिद्धांतों में सबसे बड़ी खामी यह है कि सबके साथ इनका विलोमर्थी सिद्धांत भी जुड़ा है अर्थात यह सिद्धांत एक दूसरे के विरोधाभासी प्रतीत होते हैंउदाहरण के लिए विशेष उपकरण के सिद्धांत और आदेश की एकता सिद्धांत के बीच असंगति को देखा जा सकता है
गुलिक तथा उर्विक के प्रशासनिक अध्ययन की एक खामी यह भी है कि उन्होंने सिर्फ औपचारिक संगठनों का अध्ययन किया है और अनौपचारिक संगठनों की प्रक्रियाओं की उन्होंने पूर्णता अनदेखी की है जबकि यह एक सामान्य ज्ञान की बात है कि संगठन हमेशा औपचारिक मॉडल के अनुरूप नहीं होते।
इसके अलावा इनके सिद्धांतों में मानवीय पक्ष की उपेक्षा साफ देखी जा सकती है।
इन विभिन्न आलोचनाओं के बावजूद लूथर व गुलिक के प्रशासनिक सिद्धांतों के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जिसमें पोस्डकोर्ब जैसी बेहद महत्वपूर्ण सिद्धांत शामिल है।