फ्रेडरिक विंस्लो टेलर - वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांत
फ्रेडरिक विंस्लो टेलर को वैज्ञानिक प्रबंधन का जनक माना जाता है वे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने बीसवीं शताब्दी के आरंभ में संयुक्त राज्य अमेरिका में उद्योग के प्रबंधन पर गंभीर शोध प्रयास किए। टेलर का मानना था कि 'सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन एक सच्चा विज्ञान' है जो हर तरह की मानवीय गतिविधियों में लागू होता है इसलिए आम तौर पर उनका न केवल वैज्ञानिक प्रबंधन के जनक के रूप में सम्मान किया जाता है बल्कि उन्हें आधुनिक प्रबंधन तकनीकों और उपागमों का प्रणोता भी समझा जाता है। हर उस व्यक्ति के लिए जिसका प्रबंधन से नाता है उनके लिए टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन के विचार का ध्यान पूर्वक अध्ययन आवश्यक बन जाता है।
वैज्ञानिक प्रबंधन का विकास
अमेरिका के व्यवसायिक वातावरण में 19वीं शताब्दी के बाद में औद्योगिकरण की एक नई बयार आनी शुरू हुई जिसमें एक प्रबंधकीय वर्ग का विकास हुआ। प्रबंधन का दायरा रोजमर्रा की समस्याओं को सुलझा ने मात्र से ज्यादा व्यापक हो गया। इसमें धीरे-धीरे सभी तरह के व्यापक समस्याओं का निदान समाहित होने लगा। निदान की पद्धति भी शीघ्र होने के बजाय लंबी अवधि वाले और तार्किक हो गई।
इस तरह प्रबंधन एक ऐसे समस्या निवारक उपागम के रूप में उभरा जैसा कि वह पहले कभी नहीं था हेनरी आर. टाउन और हेनरी मैटकाफ जैसे अग्रणी लोगों ने प्रबंधन कि एक एकीकृत प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया और टाउन ने प्रबंधन के इस नए दर्शन को प्रबंधन विज्ञान कहा।
वैज्ञानिक प्रबंधन के विकास में टेलर का योगदान
वैज्ञानिक प्रबंधन के विकास में ट्रेलर का योगदान उनके शोध प्रबंधों में दर्ज है जो कि इस प्रकार है :-
1894 - Notes on Belting
1895 - A Piece-rate System
1896 - The adjustment of wages to efficiency
1903 - Shop management
1906 - On the art of cutting metals
1911 - Principles of Scientific Management
टेलर के शोध प्रबंधन A Piece-rate System - 1895 को वेतन भुगतान सिद्धांत के रूप में एक असाधारण योगदान माना जाता है उन्होंने एक नई व्यवस्था की रूपरेखा रखी जिसके तीन हिस्से हैं:-
समय के जरिए कार्य का परीक्षण और विश्लेषण ताकि दर या मानक निर्धारण किया जा सके।
अंशों में कार्य की भिन्न-भिन्न दर।
भुगतान व्यक्ति को करना ना कि व्यक्ति के पद को।
टेलर के शोध प्रबंधन शॉप मैनेजमेंट 1903 Shop management मे टेलर ने कार्यशाला संगठन और प्रबंधन तंत्र की विस्तार से चर्चा की है :-
टेलर कहते हैं कि औद्योगिक कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए प्रबंधन का उद्देश्य उच्च वेतन देना और इकाई उत्पादन लागत को काम करने का लक्ष्य होना चाहिए।
प्रबंधन तंत्र को प्रबंधन समस्याओं के निदान के लिए शोध और प्रयोग की वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
कार्य की दशाओं का मानकीकरण करना चाहिए और इसी के चलते श्रमिकों कि नियुक्ति का वैज्ञानिक मापदंड होना चाहिए।
प्रबंधन को हर हालत में कामगारों और औपचारिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए साथ ही नए नियुक्ति कामगारों को खास निर्देश दिए जाने चाहिए जिससे कि वह काम के लिए मानक औजारों और सामग्री का ही इस्तेमाल करें।
श्रमिक संगठन की वैज्ञानिक प्रणाली के आधार पर श्रमिकों और प्रबंधन के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग होना चाहिए।
वैज्ञानिक प्रबंध के मुख्य तत्व इस प्रकार हैं:-
समय अध्ययन
क्रियात्मक अथवा विशिष्ट पर्यवेक्षण
उपकरणों का मानकीकरण
कार्य पद्धतियों का मानकीकरण
पृथक नियोजन कार्य
उत्पाद एवं कार्य प्रणालियों की नेमोनिक प्रणाली
कार्यक्रम प्रणाली
आधुनिक लागत प्रणाली
अपवाद द्वारा प्रबंध का सिद्धांत
‘स्लाइड रूल्स' एवं इसी प्रकार के अन्य समय बचाने वाले साधनों का प्रयोग
कार्य का आवंटन एवं सफल निष्पादन के लिए बड़ी बोनस राशि
‘विभेदात्मक दर’ का प्रयोग।
वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांत
टेलर ने सामाजिक संपन्नता के हित में प्रबंधन और कामगारों के बीच वैज्ञानिक पद्धति के प्रयोग के लिए घनिष्ठ और वैचारिक सहयोग पर जोर दिया है। उनका प्रबंधन दर्शन आपसी हितों और वैज्ञानिक प्रबंधन के चार प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है
कार्य के एक वास्तविक विज्ञान का विकास
वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत कार्य के एक वास्तविक विज्ञान की खोज करना चाहता है जो मजदूरों व प्रबंधकों दोनों को लाभ पहुंचाएं।
इस सिद्धांत का उद्देश्य किसी कर्मचारी को दिए गए कार्य के प्रेरक घटक की जांच व विश्लेषण करना है।
इससे इस बात की जांच होती है कि कार्य को करने में व्यक्तिगत व सामूहिक स्तर पर कितना समय लगा।
टेलर के अनुसार यह विधि किसी कार्य को करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका बताने में सहायता करता है।
यह बेहतर उत्पादन (Output) में भी सहायक है।
कामगारों का वैज्ञानिक चयन
टेलर का मानना है कि कर्मचारियों का चयन बहुत सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए क्योंकि यह उत्पादन के लिए आवश्यक है।
कर्मचारियों का चयन उनकी योग्यता व कार्यकुशलता के अनुसार होना चाहिए।
टेलर का अनुसार प्रबंधन तंत्र की जिम्मेदारी है कि वह कामगारों को कुशलता हासिल करने के लिए ऐसे अवसर उपलब्ध कराए जिसमें कि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य को अंजाम दे सके।
हर कामगार को पूरी तरह वह व्यवस्थित ढंग से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
कामगारों का वैज्ञानिक शिक्षण और उनका विकास
टेलर के अनुसार बेहतर परिणाम के लिए विज्ञान है कामगार को एक साथ लाना होगा टेलर का मानना है कि यह जिम्मेदारी प्रबंधन की है।
टेलर मानते हैं कि कामगार प्रबंधन के प्रति हमेशा सहयोग का भाव रखते हैं लेकिन प्रबंधन की ओर से उन्हें उचित सहयोग नहीं मिलता।
टेलर के अनुसार दोनों पक्षों के साथ आने और परस्पर सामंजस्य कायम करने की इस प्रक्रिया में एक प्रकार की बौद्धिक क्रांति का जन्म होता है।
लोगों और प्रबंधन के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग
पारंपरिक प्रबंधन सिद्धांत में कामगारों पर ही काम की पूरी जिम्मेदारी होती थी जबकि प्रबंधन पर कम जिम्मेदारी थी लेकिन टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत कामगारों और प्रबंधन दोनों पर ही कार्य का बराबर जवाबदेही सकता है पहले के मुकाबले अब प्रबंधन भी श्रमिक की तरह समान रूप से व्यस्त रहता है।
यह कार्य विभाजन दोनों में एक दूसरे के प्रति समझदारी विकसित करता है और दोनों पक्षों की आपसी निर्भरता को बढ़ाता है सहयोग की भावना भी उत्पन्न करता है। इससे झगड़ों में हड़ताल ओं में कमी होती है।
टेलर के के अनुसार इन सभी सिद्धांतों में से किसी भी सिद्धांत को अलग नहीं किया जा सकता है और ना ही अलग करने पर इन्हें वैज्ञानिक प्रबंधन की संज्ञा दी जा सकती है। वैज्ञानिक प्रबंधन इन सभी तत्वों का संयोजन है तथा इन सब का मिलाजुला रूप है।
प्रक्रियात्मक फोरमैनशिप
टेलर को रेखिक व्यवस्था अथवा सैन्य प्रकार के संगठनों की कार्यक्षमता पर संदेह था। जिसमें हर श्रमिक एक ही बॉस के अधीन होता है।
उन्होंने इस व्यवस्था की जगह एक प्रक्रियात्मक और मानसिक की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा जिसमें श्रमिकों को आंशिक रूप से विशेषज्ञ 8 पर्यवेक्षकों अधिकारियों से आदेश प्राप्त होता है।उन्होंने आठ प्रक्रियात्मक अधिकारियों में से चार को योजना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जबकि शेष चार अधिकारियों को इन योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी।
टेलर के अनुसार संगठन के इस प्रक्रियात्मक प्रकार में फोरमैन को जल्दी प्रशिक्षित किया जा सकता है। साथ ही इस ढांचे में विशेषज्ञता हासिल करनी भी आसान है। योजना और उनके निष्पादन के बीच कार्यों के विभाजन की यह अवधारणा बाद में लाइन और स्टाफ की अवधारणा की तरह कर्मचारी विशेषज्ञता के सिद्धांत में शामिल कर ली गई।
मानसिक क्रांति
टेलर के अनुसार वैज्ञानिक प्रबंधन मेंसा रूप में श्रमिकों और प्रबंधन की ओर से अपने कर्त्तव्यों, कार्यों, अपने सहयोगियों तथा अपने रोजमर्रा की तमाम समस्याओं के संबंध में एक पूर्ण मानसिक क्रांति शामिल है। यह तथ्य इस बात को स्वीकार करता है कि प्रबंधन और कामगारों के हित एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं। साथ ही यह भी पता चलता है कि परस्पर समृद्धि सहयोग से भी संभव है।टेलर कहते हैं कि जब तक श्रमिकों और प्रबंधकों में यह विशाल मानसिक क्रांति नहीं होती तब तक वैज्ञानिक प्रबंध का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता है।
आलोचनात्मक मूल्यांकन
हालांकि वैज्ञानिक प्रबंधन ने एक तरह से आंदोलन का रूप ले लिया था और औद्योगिक समस्याओं को हल करने की उम्मीद भी जताई थी, परंतु असंगठित मजदूर और साथ ही प्रबंधक इसके खिलाफ थे। मजदूर संघ आधुनिक 'प्रीमियम बोनस' व्यवस्था के जरिए उत्पादन बढ़ाए जाने के आधुनिक पद्धतियों के पक्षधर नहीं थे। अतः यह आश्चर्यजनक नहीं है कि इन संघ ने टेलर के सिद्धांतों की जबरदस्त आलोचना की उन्होंने टेलर वाद पर मजदूर संघों को ऐ प्रसांगिक बनाने तथा सामूहिक सौदेबाजी के सिद्धांत को नष्ट करने का आरोप लगाया।
उनके अनुसार यह पूरे मजदूर समुदाय के लिए खतरा था क्योंकि इससे सतत रूप से बेरोजगारी बढ़ सकती थी।
मजदूर संघों ने अनेक हड़ताल ओ और अमेरिकी संसद को दिए गए उनके ज्ञापन ओं के कारण सन् 1912 में अमेरिकी संसद को टेलरवाद का व्यापक समीक्षा हेतु हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की एक विशेष समिति गठित करनी पड़ी।
मजदूर संघों द्वारा टेलर के सिद्धांतों पर आधारित वैज्ञानिक प्रबंधन का लगातार विरोध होने के फलस्वरुप अमेरिका के औद्योगिक संबंध आयोग ने प्रोफेसर रॉबर्ट हाक्सी को इसकी गहरी पड़ताल करने के लिए नियुक्त किया। विस्तृत अध्ययन के दौरान उन्होंने पाया कि टेलरवाद सचमुच यांत्रिक पहलुओं में ज्यादा दिलचस्पी लेता है यह मानवीय पहलू की या तो परवाह नहीं करता या बहुत हल्के-फुल्के ढंग से उन पर विचार करता है।