Monday, 28 September 2020

Public policy functional dimension



The Policy Environment


नीति निर्माण प्रक्रिया  का अध्ययन करने से पहले हमारा नीति निर्माण प्रक्रिया के वातावरण को समझना उपयुक्त होगा तथा नीति निर्माण की प्रक्रिया के दौरान वे कौन से घटक होते हैं जो नीति निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।


Environmental factors of policymaking


Official

जो लोक नीति को कानूनी वैधता प्रदान करते हैं।

  • Legislators

  • Executives

  • Court/Judges 


Unofficial

औपचारिक policymakers के अलावा कई अन्य समूह होते हैं जो लोक नीति के निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।

  • Political parties

  • Media

  • Industrial group

  • Individual citizen by voting and electing the government

  • Pressure groups and NGO - Labour Union, Farmer Union, Women Union, etc


Public policy process


  1. Problem identification

  • जनता के बीच क्या समस्या है

  • प्रशासन इसमें क्या भूमिका निभा सकता है


  1. Formulation

  • इस समस्या से निपटने के लिए कौन-कौन से विकल्प हैं

  • इस विषय में नीति निर्माण का कार्य किसे सौंपा जाए


  1. Adoption

  • विभिन्न विभिन्न विकल्पों में से उपयुक्त विकल्प का चुनाव कर नीति निर्माण करना


  1. Implementation

  • समस्या के समाधान के लिए किस प्रकार नीति को उपयुक्त रूप से लागू किया जाए


  1. Evaluation

  • लोक नीति के प्रभाव का मूल्यांकन करना

  • नीति का किस प्रकार मूल्यांकन किया जाए

  • नीति में बदलाव/सुधार की संभावना


Public policy formulation

लोक नीति का सूत्री करण करना एक गतिशील प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न घटनाएं, कर्ता और राजनीतिक संस्थान भाग लेते हैं। इसमें लोगों द्वारा की गई मांगों पर प्रतिक्रिया देने का प्रयास किया जाता है।


James E. Anderson द्वारा लोक नीति के सूत्रीकरण के विभिन्न चार महत्वपूर्ण चरणों की व्याख्या की गई है :- 

  1. जनता की समस्याओं को चिन्हित करना।

  2. इन समस्याओं को सार्वजनिक/सरकारी कार्यसूची (Agenda) में शामिल करना।

  3. समस्या का निदान करने के लिए नीति प्रस्तावों (policy proposals) का गठन।

  4. नीति निर्माण करना / निर्णय लेना।


Larry Geston के द्वारा चार विभिन्न महत्वपूर्ण कारकों की पहचान की गई है जो लोक नीति के लिए विभिन्न उभरते हुए मुद्दों / समस्याओं की पहचान करते हैं :- 

  1. Scope

  2. Intensity

  3. Time

  4. Resource

इन चार कारकों के आधार पर समस्याओं की गहनता को समझ कर उसके अनुरूप नीति निर्माण का कार्य किया जाता है।


Public policy Implementation

1970 के दशक से पहले नीतियों के क्रियान्वयन (implementation) के चरण को ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था परंतु जब कई नीतियां असफल होने लगी तो फिर Implementation का चरण महत्वपूर्ण बन गया।

सरल शब्दों में implementation के चरण में उद्देशित नीति को वास्तविक धरातल पर लागू कर उसके उद्देश्य को पूर्ण करने का प्रयास किया जाता है।


किसी भी नीति के सफल होने के लिए निम्न कारक होते हैं :- 

  • पर्याप्त संसाधन

  • योग्य प्रशासन

  • उत्तरदायित्वत का निर्धारण


Implementation process (क्रियान्वयन प्रक्रिया)

  • क्रियान्वयन प्रक्रिया में नीति को सामूहिक क्रिया में परिवर्तित कर दिया जाता है

  • इसमें प्रशासन को नियंत्रित व उत्तरदायि बनाने का प्रयत्न किया जाता है

  • इसमें जमीनी स्तर के प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है

  • नीति क्रियान्वयन का कोई स्पष्ट अंत (clear-cut end point) नहीं होता है जहां यह समाप्त होता हो। यह कब तक चलता रहता है जब तक नीति को withdraw / Funds समाप्त न कर दिया जाए।


Who implements policy ?

लोक प्रशासन को मुख्यतः एक ऐसी संस्था माना जाता है जो नीतियों के क्रियान्वयन का कार्य करता है इसके कई अन्य कर्ताओं जैसे legislator's, courts, pressure groups and community org. के द्वारा क्रियान्वयन प्रक्रिया में मदद की जाती है।


लोक नीति क्रियान्वयन की चुनौतियां

  • पर्याप्त संसाधनों का अभाव

  • राजनीतिक उदासीनता

  • प्रशासन का नीति के प्रति उदासीनता

  • प्रशासन में ताल-मेल का अभाव

  • केंद्रीयकृत प्रशासन 

  • Hierarchical bureaucracy


Policy Evaluation

नीति मूल्यांकन, नीति प्रक्रिया (policy process) का अंतिम चरण होता है। जिसके द्वारा किसी नीति के उद्देश्य की प्रभावशीलता तथा जनता पर उसके प्रभाव की समीक्षा की जाती है। इसके अलावा नीति के क्रियान्वयन प्रक्रिया के दौरान आने वाले विभिन्न चुनौतियों व समस्याओं की भी पहचान की जाती है।


नीति मूल्यांकन का उद्देश्य

  • Policy efficiency

  • Policy effectiveness

  • Policy impact


नीति मूल्यांकन के प्रकार

  1. Programme impact evaluation

इसमें policy के over all program impact and effectiveness का मूल्यांकन किया जाता है।

  1. Programme strategy evaluation

इसमें कार्यक्रम नीति योजनाओं का मूल्यांकन किया जाता है जिससे पता चल सके कि किस प्रकार की योजना (strategy) ज्यादा सफल रही।

  1. Project monitoring

इसमें ground visit / site visit के द्वारा नीतियों का मूल्यांकन किया जाता है।


Methods of Evaluation मूल्यांकन विधियां

  • Cost-benefit analysis

इस मूल्यांकन विधि के द्वारा नीतियों की कुल लागत तथा इस के लाभ की तुलनात्मक अध्ययन करके नीतियों की सफलता का मूल्यांकन किया जाता है।

  • Administrative agencies

विभिन्न सरकारी विभागों में आंतरिक मूल्यांकन कर नीतियों की सफलता के स्तर को मापा जाता है।

  • Legislative bodies

संसद में सवाल जवाब वह चर्चा के माध्यम से नीतियों का मूल्यांकन

  • Commission & independent  agencies

  • Audit process

CAG (Controller and  Auditor General) के द्वारा विभिन्न खातों व आय तथा व्यय के ब्यौरे की जांच


लोक नीति मूल्यांकन प्रक्रिया के समक्ष चुनौतियां

  • बहुत ही जटिल प्रक्रिया

  • विभिन्न नीति के उद्देश्य के विषय में अस्पष्टता

  • सटीक आंकड़ों व सांख्यिकी का अभाव

  • विभिन्न औपचारिक बाधाएं


अतः लोक नीति निर्माण प्रक्रिया एक बेहद जटिल प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न कारको की भूमिका होती है इसका मुख्य उद्देश्य जनता के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान करना तथा उनके जीवन स्तर में बढ़ोतरी करना होता है।

लोक नीति की क्रियान्वयन प्रक्रिया लोक नीति के सफलता को काफी हद तक प्रभावित करता है।

विभिन्न मूल्यांकन प्रक्रिया के आधार पर नीति की सफलता तथा प्रभाव को समझा जा सकता है साथ ही भविष्य के लिए विभिन्न सुधारो व बदलावों को सुझाया जा सकता है।


Saturday, 19 September 2020

Public policy लोक नीति

Public policy लोक नीति

लोक नीति (Public policy) शब्द का उपयोग हम अक्सर अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं। हम अक्सर समाचार पत्र के माध्यम से public health policy, agricultural policy, industrial policy etc के बारे में पढ़ते हैं। लोक नीति का निर्माण सरकार के द्वारा जनता की मांग व आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। बिना लोक नीति के सरकार व प्रशासन दिशाहीन व नियंत्रणहीन है।

सफल लोक नीति सफल सरकार व प्रशासन को दर्शाती है और इसी कारण यह कहा जाता है कि जब कोई लोक नीति असफल होती है तो इसका अर्थ है कि सरकार असफल हुई है।


Public policy meaning and definition
लोक नीति :- अर्थ एवं परिभाषा


'लोक नीति' का अर्थ समझने से पहले इनके दोनों घटकों "लोक" Public तथा "नीति" policy को समझना उपयुक्त होगा। 

जैसा हम जानते हैं लोक प्रशासन का उद्भव राज्य द्वारा जनता के हितों की पूर्ति के लिए तथा लोक कल्याण व सेवा की दृष्टि से हुआ है नए कि किसी व्यक्तिगत हितों की पूर्ति के लिए अर्थात इसमें 'लोक' शब्द से अभिप्राय सार्वजनिक या संपूर्ण जनता के हितों से संबंधित से है न की व्यक्तिगत हित से।

'नीति' शब्द से अभिप्राय उन कार्यक्रमों, गतिविधियों व योजनाओं की रूपरेखा से है जो किसी निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बनाई जाती हैं। The term 'Policy' refers to overall programmes of action towards a given goal.



लोक नीति को विभिन्न विद्वानों द्वारा अलग-अलग प्रकार से परिभाषित करने का प्रयास किया गया है।

  • Thomas R. Dye states that public policy is whatever governments choose to do or not to do. This definition includes all actions and inactions of government as public policy.

  • B Guy Peter - Public policy is the 'sum of government activities, whether acting directly or through agents, as it has an influence on the lives of citizens'.

  • James E. Anderson defines Public policy as 'a progressive course of action followed by an actor or set of actors in dealing with a problem or matter of concern'.

अतः सरल शब्दों में लोक नीति से अभिप्राय उन सभी नीतियों कार्यक्रमों व योजनाओं से है जो सरकार द्वारा राज्य व जन कल्याण के उद्देश्य से निर्मित वह क्रियान्वित की जाती है तथा इनका जनता के जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।


Characteristics of public policy


उपरोक्त विभिन्न विद्वानों के परिभाषाओं के आधार पर हम लोक नीति की अवधारणा कि निम्न विशेषताएं समझ सकते हैं :-


  1. लोक नीति उद्देश्य/लक्ष्य (goal-oriented) आधारित होती है

  2. Public policy is a course of action adopted and pursued by governments to serve the Public interest. लोक नीति, लोक हित की पूर्ति के लिए सरकार के कार्यों का योग है।

  3. Public policy is what the governments actually do and what subsequently happens, rather than what they invented to do.

  4. Public policy may be either positive or negative in the form

    1. Positively - Govt. action to affect a particular problem,

    2. Negatively - to do nothing or not to take action.

  5. Public policy has a legal and administrative base.

  6. सरकारी अनुदान/बजट की व्यवस्था ।

  7. सरकारी तथा गैर सरकारी कारक प्रभावित करते हैं।

  8. लोक नीति वास्तविकता पर आधारित होती है।


Significance of public policy


लोक नीति को किसी भी राजनीतिक व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है लोक नीति के महत्व को निम्नलिखित बंधुओं द्वारा समझा जा सकता है :-

  • लोकनीति प्राथमिक तौर पर जनता तथा उनके समस्याओं से संबंधित होता है तथा लोक नीति के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाता है।

  • लोक नीति का उद्देश्य ऐसी नीतियों का निर्माण करना है जिससे समाज में लोगो के जीवन स्तर में वृद्धि व विकास हो।

  • देश के विकास में लोक नीति की भूमिका; किसी देश के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए सुनियोजित लोक नीति का होना बहुत महत्वपूर्ण है

  • Thomas R Dey लोक नीति के अध्ययन से हमें इसके सृजन, विकास तथा परिणाम के विषय में जानकारी मिलती है जिससे हमारी राजनीति व्यवस्था व समाज के विषय में समझ विकसित होती है।

  • लोक नीति का राजनीतिक तौर पर बहुत महत्व होता है किसी राज्य के लक्ष्य प्राप्ति के लिए लोक नीति का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।


Types of public policy


तात्विक नीति (Substantive policy)


तात्विक नीतियों का उद्देश्य लोगों के कल्याण व उनके जीवन स्तर में विकास करना होता है। इसमें मुख्य तौर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि आदि नीतियां आती हैं। इन नीतियों का समाज के सभी वर्गों पर प्रभाव होता है ना की किसी विशेष वर्ग के लोगों पर।




Regulatory policy (नियामक नीति)


यह नीतियां मुख्य तौर पर व्यापार (Trade) , quality education, safety masseures आदि के नियमन/नियंत्रण से संबंधित होते हैं।

यह नियमन/नियंत्रण विभिन्न स्वायत्त संस्था के द्वारा, जो कि सरकार के आदेश पर कार्य करती हैं

जैसे:-

  • SEBI - Security and exchange board of India

  • TRAI - Telecom regulatory authority of India

  • RBI - Reserve Bank of India

   आदि।

ये सभी नियामक संस्थाएं कहलाती हैं।


Constituent policy


इसका मुख्य उद्देश्य ऐसे नए नियमों-कानूनों व संस्था का निर्माण करना है जिनसे लोक कल्याण या लोकहित के उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सके। जैसे :- Aadhar policy


Distributive policy (वितरणात्मक नीति)


Distributive policy में विभिन्न विशेष वर्गो-समूहों (आर्थिक सामाजिक रूप से पिछड़े) को मूलभूत वस्तु है सेवाएं सुनिश्चित की जाती हैं सभी प्रकार की कल्याणकारी नीतियां इस श्रेणी में आती हैं। जैसे:- 

  • Food security policy

  • Government health service

  • Ujjwala yojana


Redistributive policy (पुनः वितरणात्मक नीति)


इन नीतियों का उद्देश्य संसाधनों का एक वर्ग (आर्थिक रूप से संपन्न) से दूसरे वर्गों (पिछड़े) तक पुनः वितरण करना होता है। इस नीति का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक संसाधनों का पुनः वितरण कर समाज में समानता स्थापित करना होता है।

जैसे :- Income tax policies 



Capitalization policy 


इनका उद्देश्य राज्य में विभिन्न वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन में बढ़ोतरी करना होता है।‌

जैसे:- Subsidies and Tax concession policy for industry


Models and approaches to public policy


राजनीतिक विद्वानों ने सरकार व राजनीति तथा लोक नीति के विषय में स्पष्टता प्रदान करने के लिए लोक नीति के विभिन्न मॉडलों को विकसित किया है।


Institutional approach (संस्थागत उपागम) 


इस उपागम के अनुसार लोक नीति के निर्माण में सरकारी संस्थाओं जैसे विधायिका (legislative), कार्यपालिका (executive),न्यायपालिका (judiciary) तथा राजनीतिक दलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है कोई नीति, लोक नीति तब बनती है जब उन्हें सरकारी संस्थाओं से मान्यता प्राप्त होती है। सरकार ही इन्हें वैधता प्रदान करती है।



Group Theory (समूह सिद्धांत)


इस सिद्धांत की मान्यता है कि विभिन्न हित समूह लोक नीति के महत्वपूर्ण प्रभावी कारक होते हैं तथा हित समूह के संघर्ष से सरकार व लोक नीति को प्रभावित किया जाता है।

विभिन्न हित समूह लोक नीति को प्रभावित करने के लिए आपस में संघर्षरत रहते हैं। प्रभावशाली समूह के हित लोक नीति में दिखाई पड़ते हैं।


# आलोचना - Idea and institution जैसे तत्वों की अनदेखी।


Elite Theory (विशिष्ट सिद्धांत)


इस सिद्धांत के अनुसार विशिष्ट अभिजात वर्ग का लोक नीति पर गहरा प्रभाव होता है तथा अभिजात वर्ग के द्वारा लोक नीति की रूपरेखा का निर्माण किया जाता है।


# लोक नीति पर आम जनता का प्रभाव न के बराबर देखने को मिलता है।

#इस मॉडल के अनुसार नीति का प्रभाव ऊपर से नीचे की ओर होता है यानी अभिजात वर्ग से आम जनता की ओर।


Rational Theory (तार्किक मॉडल)


इस मॉडल के अनुसार नीति निर्माण एक प्रकार से विवेकशीलता द्वारा विभिन्न विकल्पों में से सबसे उत्तम विकल्प अपनाना है।

इस नीति के लिए यह आवश्यक है कि:-

  • सभी विभिन्न विकल्पों में गहनता से अध्ययन करना

  • सभी नीतियों के विकल्पों के लाभ हानि का आकलन करना

  • नीति का Rational, logical and factual होना

Herbert Simona & Thomas R. Dey आदि इस मॉडल के समर्थक व नायक माने जाते हैं।



आलोचना

# बेहद लंबी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक

#सभी विभिन्न विकल्पों की गहनता से अध्ययन करना काफी कठिन

#नीति निर्माण मैं अधिक श्रम, धन व समय की खपत।


Incremental model


नीति निर्माण के इस मॉडल में पिछली नीति में कोई बड़ा बदलाव न कर उसी में थोड़ा सुधार कर उसे जारी रखा जाता है।

इस मॉडल का प्रयोग मुख्यता उन नीतियों के लिए किया जाता है जो बहुत संवेदनशील होते हैं तथा उनमें बड़ा बदलाव करने से सामाजिक व कानूनी स्थिरता का भय होता है

जैसे :- Reservation policy


Game Theory


इस सिद्धांत के अनुसार नीति निर्माण में विभिन्न पक्षों का रवैया अन्य पक्षों को प्रभावित करता है। 

परिस्थितियों को भापकर प्रतिक्रिया करना उपयुक्त माना जाता है। 

विभिन्न लक्ष्यों व परिस्थितियों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाता है।


नीति निर्माण में इसे इस रूप में देखा जा सकता है कि परिस्थितियों के अनुसार नीति निर्माण करना परिस्थितियों में बदलाव के साथ-साथ नीति में आवश्यक बदलाव करना।


इस मॉडल का सर्वप्रथम अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक वह कूटनीति के संदर्भ में उपयोग किया गया था।

जैसे :- Peace and conflict management policy

Game Theory का प्रयोग अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कारगर सिद्ध होता है।


System theory


इस सिद्धांत के अनुसार लोक नीति को राजनीतिक व्यवस्था प्रणाली के परिणाम के रूप में देखा जाता है।


System theory by David Easton

इस सिद्धांत के प्रमुख नायक David Easton के अनुसार राजनीतिक व्यवस्था या प्रणाली समाज के उन अंतर संबंधित संस्थाओं और गतिविधियों का समूह है जो आधिकारिक निर्णय करते हैं तथा जो समाज में बाध्यकारी व सर्वमान्य होते हैं।




Public policy functional dimension


Saturday, 22 August 2020

टेलर - वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांत F W Taylor - Principle of scientific managemen

फ्रेडरिक विंस्लो टेलर - वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांत





फ्रेडरिक विंस्लो टेलर को वैज्ञानिक प्रबंधन का जनक माना जाता है वे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने बीसवीं शताब्दी के आरंभ में संयुक्त राज्य अमेरिका में उद्योग के प्रबंधन पर गंभीर शोध प्रयास किए। टेलर का मानना था कि 'सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन एक सच्चा विज्ञान' है जो हर तरह की मानवीय गतिविधियों में लागू होता है इसलिए आम तौर पर उनका न केवल वैज्ञानिक प्रबंधन के जनक के रूप में सम्मान किया जाता है बल्कि उन्हें आधुनिक प्रबंधन तकनीकों और उपागमों का प्रणोता भी समझा जाता है। हर उस व्यक्ति के लिए जिसका प्रबंधन से नाता है उनके लिए टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन के विचार का ध्यान पूर्वक अध्ययन आवश्यक बन जाता है।




वैज्ञानिक प्रबंधन का विकास

अमेरिका के व्यवसायिक वातावरण में 19वीं शताब्दी के बाद में औद्योगिकरण की एक नई बयार आनी शुरू हुई जिसमें एक प्रबंधकीय वर्ग का विकास हुआ। प्रबंधन का दायरा रोजमर्रा की समस्याओं को सुलझा ने मात्र से ज्यादा व्यापक हो गया। इसमें धीरे-धीरे सभी तरह के व्यापक समस्याओं का निदान समाहित होने लगा। निदान की पद्धति भी शीघ्र होने के बजाय लंबी अवधि वाले और तार्किक हो गई।

इस तरह प्रबंधन एक ऐसे समस्या निवारक उपागम के रूप में उभरा जैसा कि वह पहले कभी नहीं था हेनरी आर. टाउन और हेनरी मैटकाफ जैसे अग्रणी लोगों ने प्रबंधन कि एक एकीकृत प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया और टाउन ने प्रबंधन के इस नए दर्शन को प्रबंधन विज्ञान कहा।


वैज्ञानिक प्रबंधन के विकास में टेलर का योगदान

वैज्ञानिक प्रबंधन के विकास में ट्रेलर का योगदान उनके शोध प्रबंधों में दर्ज है जो कि इस प्रकार है :-

  • 1894 - Notes on Belting

  • 1895 - A Piece-rate System

  • 1896 - The adjustment of wages to efficiency

  • 1903 - Shop management

  • 1906 - On the art of cutting metals

  • 1911 - Principles of Scientific Management


टेलर के शोध प्रबंधन A Piece-rate System - 1895 को वेतन भुगतान सिद्धांत के रूप में एक असाधारण योगदान माना जाता है उन्होंने एक नई व्यवस्था की रूपरेखा रखी जिसके तीन हिस्से हैं:-

  1. समय के जरिए कार्य का परीक्षण और विश्लेषण ताकि दर या मानक निर्धारण किया जा सके।

  2. अंशों में कार्य की भिन्न-भिन्न दर।

  3. भुगतान व्यक्ति को करना ना कि व्यक्ति के पद को।


टेलर के शोध प्रबंधन शॉप मैनेजमेंट 1903 Shop management मे टेलर ने कार्यशाला संगठन और प्रबंधन तंत्र की विस्तार से चर्चा की है :-

  1. टेलर कहते हैं कि औद्योगिक कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए प्रबंधन का उद्देश्य उच्च वेतन देना और इकाई उत्पादन लागत को काम करने का लक्ष्य होना चाहिए।

  2. प्रबंधन तंत्र को प्रबंधन समस्याओं के निदान के लिए शोध और प्रयोग की वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल करना चाहिए।

  3. कार्य की दशाओं का मानकीकरण करना चाहिए और इसी के चलते श्रमिकों कि नियुक्ति का वैज्ञानिक मापदंड होना चाहिए।

  4. प्रबंधन को हर हालत में कामगारों और औपचारिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए साथ ही नए नियुक्ति कामगारों को खास निर्देश दिए जाने चाहिए जिससे कि वह काम के लिए मानक औजारों और सामग्री का ही इस्तेमाल करें।

  5. श्रमिक संगठन की वैज्ञानिक प्रणाली के आधार पर श्रमिकों और प्रबंधन के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग होना चाहिए।


वैज्ञानिक प्रबंध के मुख्य तत्व इस प्रकार हैं:-


  1. समय अध्ययन

  2. क्रियात्मक अथवा विशिष्ट पर्यवेक्षण

  3. उपकरणों का मानकीकरण

  4. कार्य पद्धतियों का मानकीकरण

  5. पृथक नियोजन कार्य

  6. उत्पाद एवं कार्य प्रणालियों की नेमोनिक प्रणाली

  7. कार्यक्रम प्रणाली

  8. आधुनिक लागत प्रणाली 

  9. अपवाद द्वारा प्रबंध का सिद्धांत

  10. ‘स्लाइड रूल्स' एवं इसी प्रकार के अन्य समय बचाने वाले साधनों का प्रयोग

  11. कार्य का आवंटन एवं सफल निष्पादन के लिए बड़ी बोनस राशि

  12. ‘विभेदात्मक दर’ का प्रयोग।


वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांत

टेलर ने सामाजिक संपन्नता के हित में प्रबंधन और कामगारों के बीच वैज्ञानिक पद्धति के प्रयोग के लिए घनिष्ठ और वैचारिक सहयोग पर जोर दिया है। उनका प्रबंधन दर्शन आपसी हितों और वैज्ञानिक प्रबंधन के चार प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है

  1. कार्य के एक वास्तविक विज्ञान का विकास

  • वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत कार्य के एक वास्तविक विज्ञान की खोज करना चाहता‌ है जो मजदूरों व प्रबंधकों दोनों को लाभ पहुंचाएं।

  • इस सिद्धांत का उद्देश्य किसी कर्मचारी को दिए गए कार्य के प्रेरक घटक की जांच व विश्लेषण करना है।

  • इससे इस बात की जांच होती है कि कार्य को करने में व्यक्तिगत व सामूहिक स्तर पर कितना समय लगा।

  • टेलर के अनुसार यह विधि किसी कार्य को करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका बताने में सहायता करता है।

  • यह बेहतर उत्पादन (Output) में भी सहायक है।


  1. कामगारों का वैज्ञानिक चयन

  • टेलर का मानना है कि कर्मचारियों का चयन बहुत सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए क्योंकि यह उत्पादन के लिए आवश्यक है।

  • कर्मचारियों का चयन उनकी योग्यता व कार्यकुशलता के अनुसार होना चाहिए।

  • टेलर का अनुसार प्रबंधन तंत्र की जिम्मेदारी है कि वह कामगारों को कुशलता हासिल करने के लिए ऐसे अवसर उपलब्ध कराए जिसमें कि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य को अंजाम दे सके।

  • हर कामगार को पूरी तरह वह व्यवस्थित ढंग से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।



  1. कामगारों का वैज्ञानिक शिक्षण और उनका विकास

  • टेलर के अनुसार बेहतर परिणाम के लिए विज्ञान है कामगार को एक साथ लाना होगा टेलर का मानना है कि यह जिम्मेदारी प्रबंधन की है।

  • टेलर मानते हैं कि कामगार प्रबंधन के प्रति हमेशा सहयोग का भाव रखते हैं लेकिन प्रबंधन की ओर से उन्हें उचित सहयोग नहीं मिलता।

  • टेलर के अनुसार दोनों पक्षों के साथ आने और परस्पर सामंजस्य कायम करने की इस प्रक्रिया में एक प्रकार की बौद्धिक क्रांति का जन्म होता है।


  1. लोगों और प्रबंधन के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग

  • पारंपरिक प्रबंधन सिद्धांत में कामगारों पर ही काम की पूरी जिम्मेदारी होती थी जबकि प्रबंधन पर कम जिम्मेदारी थी लेकिन टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत कामगारों और प्रबंधन दोनों पर ही कार्य का बराबर जवाबदेही सकता है पहले के मुकाबले अब प्रबंधन भी श्रमिक की तरह समान रूप से व्यस्त रहता है।

  • यह कार्य विभाजन दोनों में एक दूसरे के प्रति समझदारी विकसित करता है और दोनों पक्षों की आपसी निर्भरता को बढ़ाता है सहयोग की भावना भी उत्पन्न करता है। इससे झगड़ों में हड़ताल ओं में कमी होती है।


टेलर के के अनुसार इन सभी सिद्धांतों में से किसी भी सिद्धांत को अलग नहीं किया जा सकता है और ना ही अलग करने पर इन्हें वैज्ञानिक प्रबंधन की संज्ञा दी जा सकती है। वैज्ञानिक प्रबंधन इन सभी तत्वों का संयोजन है तथा इन सब का मिलाजुला रूप है।


प्रक्रियात्मक फोरमैनशिप

टेलर को रेखिक व्यवस्था अथवा सैन्य प्रकार के संगठनों की कार्यक्षमता पर संदेह था। जिसमें हर श्रमिक एक ही बॉस के अधीन होता है।

उन्होंने इस व्यवस्था की जगह एक प्रक्रियात्मक और मानसिक की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा जिसमें श्रमिकों को आंशिक रूप से विशेषज्ञ 8 पर्यवेक्षकों अधिकारियों से आदेश प्राप्त होता है।उन्होंने आठ प्रक्रियात्मक अधिकारियों में से चार को योजना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जबकि शेष चार अधिकारियों को इन योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी।

टेलर के अनुसार संगठन के इस प्रक्रियात्मक प्रकार में फोरमैन को जल्दी प्रशिक्षित किया जा सकता है। साथ ही इस ढांचे में विशेषज्ञता हासिल करनी भी आसान है। योजना और उनके निष्पादन के बीच कार्यों के विभाजन की यह अवधारणा बाद में लाइन और स्टाफ की अवधारणा की तरह कर्मचारी विशेषज्ञता के सिद्धांत में शामिल कर ली गई।


मानसिक क्रांति

टेलर के अनुसार वैज्ञानिक प्रबंधन मेंसा रूप में श्रमिकों और प्रबंधन की ओर से अपने कर्त्तव्यों, कार्यों, अपने सहयोगियों तथा अपने रोजमर्रा की तमाम समस्याओं के संबंध में एक पूर्ण मानसिक क्रांति शामिल है। यह तथ्य इस बात को स्वीकार करता है कि प्रबंधन और कामगारों के हित एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं। साथ ही यह भी पता चलता है कि परस्पर समृद्धि सहयोग से भी संभव है।टेलर कहते हैं कि जब तक श्रमिकों और प्रबंधकों में यह विशाल मानसिक क्रांति नहीं होती तब तक वैज्ञानिक प्रबंध का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता है।



आलोचनात्मक मूल्यांकन

हालांकि वैज्ञानिक प्रबंधन ने एक तरह से आंदोलन का रूप ले लिया था और औद्योगिक समस्याओं को हल करने की उम्मीद भी जताई थी, परंतु असंगठित मजदूर और साथ ही प्रबंधक इसके खिलाफ थे। मजदूर संघ आधुनिक 'प्रीमियम बोनस' व्यवस्था के जरिए उत्पादन बढ़ाए जाने के आधुनिक पद्धतियों के पक्षधर नहीं थे। अतः यह आश्चर्यजनक नहीं है कि इन संघ ने टेलर के सिद्धांतों की जबरदस्त आलोचना की उन्होंने टेलर वाद पर मजदूर संघों को ऐ प्रसांगिक बनाने तथा सामूहिक सौदेबाजी के सिद्धांत को नष्ट करने का आरोप लगाया।

उनके अनुसार यह पूरे मजदूर समुदाय के लिए खतरा था क्योंकि इससे सतत रूप से बेरोजगारी बढ़ सकती थी।

मजदूर संघों ने अनेक हड़ताल ओ और अमेरिकी संसद को दिए गए उनके ज्ञापन ओं के कारण सन् 1912 में अमेरिकी संसद को टेलरवाद का व्यापक समीक्षा हेतु हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की एक विशेष समिति गठित करनी पड़ी।

मजदूर संघों द्वारा टेलर के सिद्धांतों पर आधारित वैज्ञानिक प्रबंधन का लगातार विरोध होने के फलस्वरुप अमेरिका के औद्योगिक संबंध आयोग ने प्रोफेसर रॉबर्ट हाक्सी को इसकी गहरी पड़ताल करने के लिए नियुक्त किया। विस्तृत अध्ययन के दौरान उन्होंने पाया कि टेलरवाद सचमुच यांत्रिक पहलुओं में ज्यादा दिलचस्पी लेता है यह मानवीय पहलू की या तो परवाह नहीं करता या बहुत हल्के-फुल्के ढंग से उन पर विचार करता है।