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Saturday, 23 December 2017

लोक प्रशासन की अवधारणा Public Administration

लोक प्रशासन (Public Administration)


परिचय


लोक प्रशासन को एक अध्ययन विषय के रूप में  देखा जाए तो  इसका इतिहास लगभग 130 वर्ष पुराना है परंतु एक गतिविधि के तौर पर लोक प्रशासन मानव सभ्यता के आरंभिक काल से ही मौजूद रहा है। यह बात अलग है कि प्राचीन काल के लोक प्रशासन की तुलना में आधुनिक लोक प्रशासन की प्रकृति में बदलाव आ गया है। प्राचीन लोक प्रशासन का चरित्र अधिनायकवादी, कुलीन व पितृसत्तात्मक आधारित था तथा इसका मुख्य उद्देश्य  कानून व्यवस्था को लागू करना व राजस्व वसूली करना था। लोक कल्याण के कार्य कभी-कभार ही होते थे। प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति  राजनय वर्ग के द्वारा की जाती थी। अतः जब से मानव ने संगठित होकर रहना प्रारंभ किया है तब से ही लोक प्रशासन का अस्तित्व है तथा मानव सभ्यता के साथ-साथ इसके स्वरुप में भी बदलाव होता रहा है।

वर्तमान में लोक प्रशासन का क्षेत्र बहुत व्यापक हो गया है तथा यह समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर रहा है।  अब लोक प्रशासन का मुख्य उद्देश्य कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जनसेवा तथा मानव जीवन स्तर में बढ़ोत्तरी करना है।


लोक प्रशासन, प्रशासन का ही एक भाग है अतः लोक प्रशासन को सही रूप में समझने से पहले प्रशासन को समझना आवश्यक है।

प्रशासन Administration


प्रशासन यानी Administration लेटिन भाषा के Ad तथा Ministarare शब्द के योग से बना है जिसका अर्थ है "काम करवाना"। 16वीं शताब्दी के बाद प्रशासन का अर्थ प्रबंधन से लगाया जाने लगा। परंतु आधुनिक विचारको की माने तो प्रशासन एक सुनिश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए मनुष्य द्वारा आपसी सहयोग से की जाने वाली एक सामूहिक क्रिया है।
प्रशासन का अर्थ शासित या अनुशासित करना है। इसका आशय यह है कि इस क्रिया में अनेक व्यक्तियों को विशिष्ट अनुशासन में रखते हुए उनसे एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य कराया जाता है। सरल शब्दों में प्रशासन एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए सहयोगी ढंग से किया जाने वाला कार्य है। इस तरह प्रशासन के लिए सहयोगी संगठन और सामाजिक हित का उद्देश्य होना आवश्यक है।

प्रशासन की परिभाषाएं :-

प्रशासन का संबंध निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कार्य करवाने से है
-लूथर गुलिक

व्यापक दृष्टि से प्रशासन की परिभाषा यह कही जा सकती है कि यह समूहों की वह क्रियाएं हैं जो सामूहिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आपसी सहयोग द्वारा की जाती हैं
-साइमन स्मिथबर्ग एवं थॉम्पसन

निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाने वाला सामूहिक कार्य है
-अरस्तु

निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मानवीय तथा भौतिक संसाधनों के संगठन और संचालन को प्रशासन कहते हैं
-पिफनर और प्रेस्थस

किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए बहुत से मनुष्य का निर्देशन समन्वय तथा नियंत्रण ही प्रशासन की कला है
-एल. डी. व्हाइट

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रशासन निम्नलिखित लक्षण से युक्त है :-
  • प्रशासन किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाने वाला कार्य है।
  •  प्रशासन करने वाले के पास अधिकार होता है कि वह दूसरों को कार्य में सहयोग के लिए कहे।
  • प्रशासन में एक से अधिक व्यक्ति सहयोग भाव से कार्य करते हैं।
  • प्रशासन का उद्देश्य इस क्रिया में भाग लेने वाले व्यक्तियों के उद्देश्य से भी होता है। ( उदाहरण के लिए यदि कोई सरकार जन कल्याण की कोई नीति बनाता है तथा उसे लागू करता है तो उसका उद्देश्य जनता की करना होता है परंतु इस में काम करने वाले कर्मचारियों का उद्देश्य अपनी आजीविका कमाना होता है )
अतः विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए विभिन्न व्यक्तियों के सहयोग से किया जाने वाले कार्य के प्रबंधन को प्रशासन कहते हैं है।

लोक प्रशासन Public Administration 

लोक प्रशासन का अर्थ:-

लोक प्रशासन "प्रशासन" का ही एक भाग है अर्थात प्रशासन के विस्तृत क्षेत्र का एक भाग है। लोक प्रशासन "लोक" Public तथा "प्रशासन" Administration से मिलकर बना है।
लोक शब्द सार्वजनिकता व आम जनता की भागीदारी का प्रतीक है तथा प्रशासन से अभिप्राय जनता की सेवा व कार्य प्रबंधन से है। तथा लोक प्रशासन का संबंध सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन करने से होता है।
अतः लोक कल्याण की सार्वजनिक गतिविधियों का प्रबंधन अथवा सरकारी कार्यों व नीतियों का प्रबंधन करना लोक प्रशासन कहलाता है।

लूथर गुलिक के अनुसार - लोक प्रशासन प्रशासन का वह अंग है जिसका संबंध सरकार से है और इस प्रकार मुख्य रूप से लोक प्रशासशन का संबंध कार्यपालिका से है।

पर्सीमेक्वीन के अनुसार - लोक प्रशासन सरकार के कार्यों से संबंधित होता है, चाहे वे केन्द्र द्वारा सम्पादित हों अथवा स्थानीय निकाय द्वारा।

व्हाइट के अनुसार - लोक प्रशासन में वह गतिविधियां आती हैं जिनका उद्देश्य सार्वजनिक नीति को पूरा करना या क्रियांवित करना होता है।

वुडरो विल्सन के अनुसार- लोक प्रशासन नियम या कानून को विस्तृत एवं क्रमबद्ध रूप में क्रियांवित करने का काम है कानून को क्रियांवित करने के लिए प्रतिक्रिया प्रशासकीय क्रिया है।

लोक प्रशासन का स्वरुप (Nature of Public Administration) :-


प्रबंधकीय दृष्टिकोण (The Managerial View):-

प्रबंधकीय दृष्टिकोण के अनुसार केवल उच्च स्तरीय प्रशासन के कार्य प्रशासन में शामिल माने जा सकते हैं। इस दृष्टिकोण के अनुसार कार्य करना प्रशासन नहीं बल्कि कार्य करवाना प्रशासन है इस विचार के समर्थक साइमन, थामसन, सिम्थबर्ग तथा गुलिक आदि है।

एकीकृत दृष्टिकोण (The Integral View) :-

एकीकृत दृष्टिकोण के अनुसार कार्य करना तथा कार्य करवाना दोनों ही प्रशासन में आते हैं। इस दृष्टिकोण के अनुसार निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया जाने वाला क्रियाओं का समग्र योग लोक प्रशासन में आता है इस दृष्टिकोण के अनुसार संगठन में चपरासी से लेकर प्रबंधक तक सभी प्रशासन का भाग है इस सिद्धांत के समर्थक एल डी वाइट, पिफनर और एफ. एम. मार्क्स आदि हैं।


लोक प्रशासन का क्षेत्र (Scope of Public Administration) :-


लोक प्रशासन के क्षेत्र की व्यापकता को देखते हुए इसके  क्षेत्र के विषय में कई दृष्टिकोण पाई जाती हैं:-

# पोस्डकोर्ब ( POSDCORB ) दृष्टिकोण

पोस्डकोर्ब शब्द का निर्माण लूथर गुलिक द्वारा किया गया उन्होंने कार्यपालिका के प्रशासन कार्य को ज्ञात किया और एक नए शब्द का निर्माण किया इस शब्द का प्रत्येक अक्षर प्रबंधन के किसी महत्वपूर्ण कार्य का सूचक है।


  • P - Planning (योजना बनाना) :-  किसी भी कार्य करने से पहले उस कार्य की रूपरेखा का निर्धारण करना जिससे निर्धारित उद्देश्य की प्राप्ति सरलतापूर्वक की जा सके
  • O - Organising (संगठन बनाना) :- प्रशासनिक संगठन का ढांचा इस प्रकार से तैयार करना कि विभिन्न प्रशासकीय कार्यों का विभाजन उचित रुप में किया जा सके तथा विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित किया जा सके
  • S - Staffing (कर्मचारियों की उपलब्धता) :- किसी भी संगठन को अपने निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभिन्न योग्य कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। 
  • D - Directing (निर्देश देना):-  विभिन्न प्रशासकीय कार्यो का विश्लेषण कर उसके अनुसार कर्मचारियों को निर्देश देना ताकि संगठन अपने निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति से भटके नहीं।
  • Co - Co-ordinating (समन्वय स्थापित करना):- संगठन के विभिन्न विभागों के कार्यो में तालमेल स्थापित करना ताकि कुशलतापूर्वक कार्य किया जा सके।
  • R - Reporting (रिपोर्ट तैयार करना):-  संगठन की कार्य प्रगति के विषय में समय समय पर रिपोर्ट तैयार करना तथा उसका विश्लेषण करना।
  • B - Budgeting (बजट बनाना) किसी भी संगठन को अपने कार्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित धनराशि की आवश्यकता होती हैं। 

 अतः वित्तीय संबंधी लेन देन के विषय में बजट तैयार करना आवश्यक होता है।

# संकुचित दृष्टिकोण :- 

इस दृष्टिकोण के समर्थक विद्वानों के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध केवल शासन की कार्यपालिका से है। इसमें संगठन के सभी कार्यों को सम्मिलित नहीं किया जाता हैं, केवल कार्यपालिका प्रबंधकीय कार्यों को शामिल किया जाता है। ....

# आधुनिक दृष्टिकोण:-

आधुनिक दृष्टिकोण के विचारको के अनुसार सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रशासनिक कार्य चाहे वह स्थानीय स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर हो और चाहे वह सलाहकार हो या कार्यवाहक हो, संगठन तथा कार्य प्रणालीयाँ आदि सभी लोक प्रशासन के अंतर्गत आते है। ....

# लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण:-

इस दृष्टिकोण के अनुसार राज्य और प्रशासन एक सामान है। इस दृष्टिकोण के अनुसार वर्तमान समय में राज्य का स्वरूप लोक कल्याणकारी है उसी प्रकार लोक प्रशासन भी लोक कल्याणकारी है अतः दोनों का उद्देश्य जनकल्याण है। इस प्रकार इस विचारधारा के अनुसार लोक प्रशासन का क्षेत्र जनता के हित में किए जाने वाले समस्त कार्यों तक फैला हुआ है।

लोक प्रशासन और निजी प्रशासन (Public and Private Administration) :-


लोक प्रशासन और निजी प्रशासन के विषय में दो दृष्टिकोण प्रचलित हैं एक दृष्टिकोण दोनों में अंतर नहीं मानता है जबकि दूसरा दृष्टिकोण दोनों में अंतर करता है।


Similarities between Public and Private Administration

 प्रथम दृष्टिकोण समानता का दृष्टिकोण है इस के समर्थक फ्रेंच विचारक हेनरी फेयोल, मेरी पार्कर और और उर्विक है।  ये विचारक दोनों को एक-सा मानते हैं इस दृष्टिकोण के समर्थक मानते हैं कि:-

* निजी प्रशासन और लोक प्रशासन दोनों में ही जनसंपर्क की आवश्यकता पड़ती है ।

* प्रशासन चाहे शासकीय तौर पर किया जाए चाहे निजी तौर पर संगठन की आवश्यकता दोनों में पढ़ती है।

*बड़ा उद्यम चाहे वह सरकारी हो या गैर सरकारी की समुचित प्रशासन के लिए नियोजन संगठन आदेश समन्वय तथा नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

*दोनों तरह के प्रशासन में अधिकारियों को समान रुप से उत्तरदायित्व दिए जाते हैं अधिकारियों में समानता और कौशल पर बल दिया जाता है।

* दोनों तरह के प्रशासन में प्रबंधन व संगठन संबंधी अनेक तकनीकें समान होती है। जैसे तथ्य उपलब्ध करवाना रिपोर्ट जारी करना संबंधी अनेक क्रियाएं दोनों प्रशासन में पाई जाती हैं


Differences between Public and Private Administration :-


दूसरा दृष्टिकोण असामानता का दृष्टिकोण है जिसके समर्थकों में साइमन तथा अपलबी जैसे विद्वान शामिल है इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अंतर है।
 हर्बर्ट साइमन के अनुसार सामान्य व्यक्तियों की दृष्टि में निजी प्रशासन गैर-राजनीतिक और चुस्ती से काम करने वाले माने जाते हैं जो सार्वजनिक प्रशासन से भिन्न होते हैं।


लोक प्रशासन का मुख्य उद्देश्य जन सेवा तथा लोक कल्याण होता है परंतु निजी प्रशासन का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है।

लोक प्रशासन जनता के प्रति जवाबदेह होता हैं परंतु निजी प्रशासन जनता के प्रति इतना जिम्मेदार या जवाबदेह नहीं होता है।

लोक प्रशासन द्वारा ऐसे कार्य किए जाते हैं जो निजी तौर पर पूरे नहीं किए जा सकते इसीलिए बड़े क्षेत्रों जैसे रेलवे व् डाक आदि लोक प्रशासन के अंतर्गत रखे जाते हैं।

लोक प्रशासन का क्षेत्र काफी व्यापक होता है जबकि निजी प्रशासन संकुचित क्षेत्र तक सीमित रहता है।

लोक प्रशासन का संगठन नौकरशाही आधारित होता है परंतु निजी प्रशासन का संगठन व्यापारिक आधार पर होता है

लोक प्रशासन के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारी स्थाई होते हैं जबकि निजी प्रशासन में कार्यरत कर्मचारी अस्थाई होते हैं

लोक प्रशासन में निजी लोक प्रशासन की तुलना में पक्षपात पूर्ण व्यवहार किए जाने की संभावना बहुत कम होती है।


लोक प्रशासन का महत्व (Significance of Public Administration) :-


लोक प्रशासन का महत्व वर्तमान के आधुनिक काल में लोक प्रशासन का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है राज्य का का स्वरूप अधिनायकवादी तथा पितृसत्तात्मक आधारित से बदलकर आज के आधुनिक युग में कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित हो चुका है अतः राज्य के दायित्व में बढ़ोतरी के साथ-साथ लोक प्रशासन का महत्व भी निरंतर बढ़ता जा रहा है इसलिए वर्तमान युग को प्रशासनिक राज्य का युग भी कहा जाता है

लोक कल्याणकारी
राज्य वर्तमान समय में राज्य का स्वरूप लोक कल्याणकारी हो गया है। लोक कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य जनकल्याण के कार्य करना होता है। राज्य लोक हित के लक्ष्यों की पूर्ति बिना प्रशासन के सहयोग के नहीं कर सकता आर्थिक जीवन के लक्ष्य प्रशासन की कार्यकुशलता के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं। लोक कल्याणकारी राज्य की सफलता पर शासकीय कुशलता पर आधारित होती है।

लोकतंत्रात्मक शासन
वैसे प्रशासन का महत्व तो प्रत्येक प्रणाली में है परंतु लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में इस का विशेष महत्व है। लोकतंत्र में प्रशासन सेवक की भूमिका निभाता है। प्रशासन का उद्देश्य सार्वजनिक हित होता है और प्रशासन की भूमिका सृजनात्मक होती है।

नीतियों को व्यवहारिक जामा पहनाने के लिए
 नीतियों को व्यवहारिक बनाने की लिए लोक प्रशासन का विशेष महत्व है। लोक प्रशासन सामाजिक आवश्यकता और आर्थिक बचत की दृष्टि से ऐसे निर्णय लेता है जिससे नीति को व्यवहारिकता प्राप्त होती है।

निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति के लिए
 निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति के लिए लोकप्रशासन बेहद महत्वपूर्ण है विभिन्न आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए लोक प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है

सामाजिक स्थिरता व सामाजिक परिवर्तन के लिए
सामाजिक स्थिरता के निर्माण में लोकप्रशासन का बहुत महत्व हैं। वर्तमान समय में प्राथमिक आवश्यकताओं की व्यवस्था करना लोक प्रशासन की कार्यकुशलता पर निर्भर है।सामाजिक जीवन में परिस्थितियों के परिवर्तन आदि के कारण बदलाव का चक्र चलता रहता है।जिससे राजनीतिक व्यवस्था में उथल-पुथल होती रहती है और सरकारी बदलती रहती है परंतु ऐसी स्थिति में प्रशासन का ढांचा समाज को स्थिरता प्रदान करती है।

युद्ध काल में
युद्ध के समय लोक प्रशासन की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है देश की रक्षा के लिए संपूर्ण जन शक्ति और उसके समस्त साधनों का संगठन व नियमन आवश्यक होता है लोक प्रशासन इस दायित्व का निर्वाह करत में लोक प्रशासन बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहती है

इसके अलावा अन्य कई क्षेत्रों में लोक प्रशासन की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

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सारांश :-

आधुनिक सभ्यता के विकास में लोक प्रशासन का अहम योगदान राहा है
लोक प्रशासन, राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण उपकरण है फिर चाहे राजतंत्र शासन व्यवस्था हो या लोकतंत्र हो  लोक प्रशासन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। 21वीं सदी में राज्य के स्वरूप में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है
 आज कल्याणकारी राज्य के दौर में राज्य का मुख्य उद्देश्य जनता की आवश्यकता की पूर्ति करना है जिसमे लोक प्रशासन की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है।
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